लेखनी कहानी -05-Jan-2023 (3)दीपक तले अंधेरा ( मुहावरों की दुनिया )
शीर्षक = दीपक तले अंधेरा
अगली सुबह आशीष ज़ब सो कर उठा, तो उसने अंगड़ाई लेते हुए ही राधिका को आवाज़ लगायी, ज़ब दो तीन आवाज़े लगाने के बाद भी कोई जवाब नही आया तब, उसके कमरे में बाहर काम कर रही कामवाली बाई आती और कहती
क्या हुआ साहब? मैडम तो गांव गयी है, कुछ काम है क्या
"मैं तो भूल ही गया,, नही नही कुछ नही,, वो नाश्ता तैयार है क्या " आशीष ने कहा
"जी साहब, आप नहा धोकर बाहर आ जाइये, मैं ज़ब तक गरमा गर्म नाश्ता तैयार कर देती हूँ " काम वाली बाई ने कहा
"आपको पता है ना, मुझे केसा नाश्ता पसंद है " आशीष ने पूछा
"जी साहब, मैडम ने मुझे बताया था कि आपको नाश्ते में ओट्स और उसके बाद एक ब्लैक कॉफी पीने की आदत है," सामने खड़ी बाई ने कहा
"अच्छी बात है, तुम जा कर बनाओ मैं अभी आता हूँ " आशीष ने कहा और बिस्तर से उतर जाता है
"ठीक है साहब, और कुछ चाहिए तो बता देना और हाँ लंच आप घर पर करेंगे या ड्राइवर के हाथ अस्पताल ही भेज दू " बाई ने पूछा
"लंच,,, मैं बाहर ही कर लूँगा,, तुम बस घर की सफाई अच्छे से कर देना और फिर चली जाना,,, शाम का भी माँ बाहर ही खा कर आऊंगा " आशीष ने कहा
"ठीक है साहब, लेकिन मेम साहब ने मुझे आपको घर का खाना बना कर खिलाने को कहा था " बाई ने कहा थोड़ा डरते हुए
"ज़ब मुझे घर का खाना, खाना होगा मैं बता दूंगा, आज मन नही है " आशीष ने थोड़ा झुंझला ला कर कहा
"ठीक है साहब, जैसा आप सही समझें " बाई ने कहा और वहाँ से चली गयी
"बडी आयी मेरे खाने की परवाह करने वाली, इतनी परवाह होती तो मुझे इस तरह छोड़ कर नही जाती, दो दिन हो गए, लगता है गांव कुछ ज्यादा ही पसंद आ गया है, दो दिन पहले ही बात हुयी थी जबसे पति को एक बार भी फ़ोन करके नही पूछा है, " आशीष ने कहा और वाशरूम में चला जाता है
वही दूसरी तरफ आज मानव अपने दादा के साथ गांव की सेर को निकला था, और राधिका अपनी सास के साथ पड़ोस के घर गयी थी, वो तो गांव के लोगो के साथ इतना घुल मिल सी गयी थी जिसे देख लग नही रहा था की ये शहर की पली बडी लड़की है
मानव और उसके दादा गांव में घूम ही रहे थे, कि उन्होंने देखा कि गांव में एक चौपाल लगी हुयी थी, और बहुत सारे लोग वहाँ इकठ्ठा थे, कुछ बड़े बुजुर्ग एक ऊँचे स्थान पर बैठे थे, उन्हें देख ऐसा लग रहा था जैसे कोई कानूनी कार्यवाही चल रही है
मानव ने तुरंत ही अपने दादा से उस बारे में पूछा , दीन दयाल जी बताने को हुए तब ही वो रुक गए और बोले " अभी नही शाम को बताऊंगा, ताकि तुम एक और मुहावरें का अर्थ अच्छे से समझ सको और उसे कहानी का रूप देकर अपनी पुस्तक में लिख सको "
दादा के कहने पर तो अब मानव की और भी उत्सुकता बढ़ गयी थी, वहाँ हो रही घटना को जानने की, अब तो बस उसे शाम का इंतज़ार था , और धीरे धीरे उसका इंतज़ार ख़त्म होने लगा ज़ब रात का खाना खाने के बाद वो अपनी पुस्तक लेकर अपने दादा के पास चला गया
राधिका ने उसे रोका, लेकिन वो नही माना, और दौड़ता हुआ दीनदयाल जी के पास आकर बैठ गया, ताकि वो सुबह गांव में हो रही घटना के बारे में उसे बता सके
दीन दयाल जी ने मानव को अपने पास बैठाया और उसके हाथ से वो परचा लेकर देखने लगे और बोले " हाँ मिल गया, यही मुहावरा आज की घटना को अच्छे से तुम्हे समझा सकता है
तो चलो शुरू करते है इस मुहावरें से जिसका नाम है
" दीपक तले अंधेरा "
"दीपक तले अंधेरा, दादा जी ये दीपक क्या होता है? अंधेरा तो मुझे मालूम है और तले का मतलब " मानव ने पूछा
माँ, बताता हूँ,, बेटा दीपक,यानी की दिया, माटी से बनाये जाने वाला एक प्रकार का छोटा या बड़ा प्याला, जिसमे सरसों का तेल और रुई की बाती बना कर उसे अँधेरे में प्रकाश उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, अब उसकी जगह बल्ब ने ले ली है,और अब बस इसका इस्तेमाल बहुत कम जगहों पर किया जाता है
बेटा ज़ब दीपक जलता है, वो जहाँ जलता है वहाँ की सारी जगह रौशनी से जगमग हो जाती है, सिवाय उसके अपने स्थान के जहाँ वो रखा जल रहा होता है, जहाँ दीपक जल रहा होता है उसे तला बोला जाता है, जहाँ हमेशा अँधेरे का साया रहता है, इसलिए हमारे पूर्वजो ने उसे देख कर एक कहावत कही " दीपक तले अंधेरा यानी की सारी जगह को रौशनी करने वाला अपने स्वयं के स्थान को उजागर करने में सक्षम नही है "
आओ तुम्हे इस कहानी के माध्यम से समझाने की कोशिश करता हूँ
बहुत पहले की बात है, एक गांव में एक अध्यापक रहते थे जिनके बारे में प्रसिद्ध था की वो मूर्ख से मूर्ख विद्यार्थी को विद्या सिखा देते थे, लोग उनकी बेहद इज़्ज़त करते थे, बच्चा बच्चा उनकी इज़्ज़त करता था, कोई भी उन्हें उनके असली नाम से नही जनता था सब उन्हें मास्टर साहब कह कर बुलाते थे,
उनके पढ़ाये हुए बच्चें आज भी ना जाने कहा कहा अच्छी अच्छी जगहों पर पहुंच कर अपना और अपने माँ बाप का नाम रोशन कर रहे है,
उनकी ज़ब शादी हुयी उसके कुछ साल बाद ईश्वर ने उन्हें दो बेटे दिए, सबको यही लगता था की मास्टर साहब के बेटे उन्ही की तरह होंगे, समझदार और पढ़ाई लिखाई में अव्वल
लेकिन उन दोनों पर अपने बाप का परछावा भी नही पड़ा था, बचपन से ही लड़ाई झगड़ो में रहते, पहले सबको लगता अभी बच्चें है धीरे धीरे सही हो जाएंगे, पढ़ाई में तो उनका मन बिलकुल भी नही लगता था जैसे तैसे करके दसवीं तक पहुचे लेकिन तीन बार फ़ैल होने के बाद आखिर कार पढ़ाई ही छोड़ दी, सबने बेहद समझाया, उनके पिता ने भी उन्हें बेहद समझाया, वो चाहते थे की उनके बेटे भी उनकी तरह विद्या के प्रकाश को दूर दूर तक फेलाये लेकिन इतने बच्चों का भविष्य प्रकाशित करने वाले अध्यापक के खुद के बच्चों का भविष्य अंधकार बनता जा रहा था, जिस का सदमा उन्हें ऐसा लगा की वो एक दिन इस दुनिया से चल बसें कुछ दिन तो बच्चों ने रोना धोना किया और उसके बाद वही गलत संगती इख़्तियार ली जिसके बाद उन्होंने वो वो काम किया जिसके बाद जो भी उन्हें देखता तो सबके मुँह से यही निकलता " दीपक तले अंधेरा "
तुम जानते हो जो सुबह पंचायत लग रही थी, वो उन्ही के बेटों के लिए लगी हुयी थी, जिन्होंने एक दुसरे पर ज़मीन हाथयाने का आरोप लगाया है, जो भी उनके पिता की थोड़ी बहुत ज़मीन थी उन दोनों ने उसे बेच कर सब पैसे जुआ दारू में लगा दिये, बेचारे मास्टर साहब अपनी विद्या के प्रकाश से इतने घरों के दीपकों को उजागर कर उन्हें अंधकार से निकाल कर रौशनी की तरफ ले आये और जिसमे तुम्हारे पापा भी शामिल है, तुम्हारे पापा को भी उन्होंने ही पढ़ाया था ज़ब तक वो यहाँ गांव में थे और देखो खुद के बच्चों का भविष्य ना सवार सके, सब किस्मत का खेल है, दीपक तले अंधेरा इसी को ही कहा गया है , दीन दयाल जी ने कहा
"बहुत अच्छी कहानी थी दादा, दादा आपको पापा की याद आती है, आप और पापा बात क्यू नही करते है ?" मानव ने कहा
दीनदयाल जी कुछ कहते उससे पहले राधिका वहाँ आन पहुंची और मानव को डांट लगाते हुए बोली " बहुत हुआ, अब अपने कमरे में चल कर सो, दादा जी थक गए है "
माफ करना पापा, बच्चा है इसलिए पूछ बैठा " राधिका ने दीनदयाल जी से कहा
दीनदयाल जी के पास सिवाय सर के हिलाने के अलावा कोई और जवाब नही था, उन्हें भी तो अपने बेटे की याद आती ही थी, भले ही वो बाहर से सख्त दीखते थे लेकिन उनका दिल तो नर्म ही था, जो की अपने बेटे को एक बार सीने से लगाना चाहते थे
राधिका मानव को लेकर वहाँ से चली जाती है और वहाँ उसकी सास आ जाती है,जो अपने पति की व्यथा को अच्छे से जानती थी,
मुहावरों की दुनिया में अगले मुहावरें से बनी कहानी के लिए जल्द मिलते है
मुहावरों की दुनिया हेतु
Seema Priyadarshini sahay
05-Mar-2023 12:39 PM
बहुत सुंदर👌👌
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Gunjan Kamal
12-Jan-2023 10:28 AM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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डॉ. रामबली मिश्र
10-Jan-2023 04:37 PM
बेहतरीन
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